स्मार्टफोन के फीचर्स की पुरी जानकारी




स्मार्टफोन के तेजी से लोकप्रिय और सस्ती होने के कारण आज स्मार्टफोन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है | मित्रों और परिवार के साथ जोड़ने, म्यूजिक और मूवी, सोशल एक्टिविटी, फ़ोटो और वीडियो या अपना पर्सनल और ऑफिस का कामकाज करने के लिए हम स्मार्टफोन का उपयोग करते है।

आज सभी नया स्मार्टफोन लेने से पहले टेक्निकल स्पेसिफिकेशन के बारे में बात करते है। और स्मार्टफोन के फीचर्स की तुलना करते है। नया स्मार्टफोन खरीदने से पहले आपको प्रोसेसर, रैम, ओएस, स्क्रीन साइज, कैमेरा जैसी और कई सारी बातो को ध्यान में रखना पडता है। अगर आप नया स्मार्टफोन खरीदने का मन बना रहे है तो आपको निश्चित रूप से निचे दिए गए टेक टर्म को पढ़ना चाहिए यहाँ स्मार्टफोन के फीचर्स का एक पूरा गाइड है।

1) NETWORK Technology:
सेलुलर नेटवर्क या मोबाइल नेटवर्क यह मोबाइल कम्युनिकेशन नेटवर्क है। मोबाइल फोन में निम्न नेटवर्क टेक्नोलॉजी होती है –

CDMA:
CDMA (Code Division Multiple Access) टेक्नोलॉजी बेसिक टेक्नोलॉजी है जो युएस में जादा इस्तेमाल होती है| सीडीएमए अन्य नेटवर्क में कम इंटरफेस करता है और इसमें कइ युजर एक साथ बात कर सकते है, जो एक ही फ्रीक्वेंसी को शेयर करते है| यह अतिरिक्त सिंग्नल नॉइस को कम करने के लिए जादा पावर लेता है जो बैटरी लाइफ को कम करती है| सीडीएमए हैंडसेट अक्सर एक ही कैरियर के लिए लॉक होता है और यह ट्रांसफर नही हो सकता|

CDMA नेकवर्क पर जो फोन काम करते हैं, उन मोबाइल फोन में सिम कार्ड नहीं पडता है और अगर पडता भी है तो केवल उसी मोबाइल नेटवर्क कंपनी को पडता है जिस मोबाइल नेटवर्क कंपनी का आपने फोन खरीदा है, यहॉ हम मोबाइल नेटवर्क कंपनी की बात कर रहे हैं जैसे आयडिया, एयरटेल, बीएसएनएल, डोकोमो आदि। इस प्रकार के फोन में केवल उसी कंपनी का ही सिम कार्ड काम करता है किसी दूसरी कंपनी का नहीं। आपका फोन एक बार में केवल एक नेटवर्क को सपोर्ट करेगा, CDMA या फिर GSM।

GSM:
जीएसएम (Global System for Mobile communication) यह डिजिटल मोबाइल टेलीफोन सिस्टम है जो विश्वl में सबसे ज्याcदा प्रयोग किया जाना वाला मोबाइल नेटवर्क है। जीएसएम फोन अनलॉक कर सकते है और यह एक कैरियर से दुसरे कैरियर में ट्रांसफर हो सकता है| 2 जी सेलुलर नेटवर्क कमर्शियली जीएसएम स्टैंडर्ड पर लांच हुआ है, और इसका थ्योरेटिकल ट्रांसफर स्पीड अधिकतम 50 kbit/s है। इसका पता करना बहुत आसान है कि आपका फोन CDMA है या GSM, आपके फोन में सिम कार्ड पड़ता है या नहीं अगर सिम कार्ड पड़ता है तो यह GSM है और अगर नहीं तो आपका फोन CDMA ह

LTE:
एलटीई (Long-Term Evolution) 4G वायरलेस ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी है जिसे Third Generation Partnership Project (3GPP) ने डेवलप किया है| 4G LTE को मोबाइल फोन और डेटा टर्मिनल के लिए हाई स्पीड डेटा का स्टैंडर्ड वायरलेस कम्युनिकेशन है| इसका अधिकतम डाउनलोड स्पीड 299.6 Mbit/s और अपलोड स्पीड 75.4 Mbit/s है जो मोबाइल के इक्विपमेंट कैटेगरी पर आधारीत होता है।

EDGE:
जीएसएम इवोल्यूशन के लिए एनहांस्ड डेटा रेट EDGE या (Enhanced GPRS (EGPRS), या Enhanced Data rates for Global Evolution) यह डिजिटल मोबाइल फोन टेक्नोलॉजी है जो जीएसएम की तुलना में अधिक बेहतर डेटा ट्रांसफर रेट देता है| आउटडेटेड जीपीआरएस सिस्टम से एज लगभग तीन गुना स्पीड प्रदान करता है। ऐज ब्रॉडबैंड ऐप्लीकेशन, जैसे टेलीविजन, ऑडियो और वीडियो स्ट्रीमिंग मल्टीमीडिया को मोबाइल फोन पर 20Kbps से 384Kbps के स्पीड से ट्रांसफर कर सकता है|

HSPA:
HSPA +, या विकसित हाई स्पीड पैकेट एक्सेस को व्यापक रूप से WCDMA (UMTS) बेस 3G नेटवर्क पर इस्तेमाल किया जाता है जो नए एलटीई नेटवर्क से तुलना करता है| HSPA+ हाई स्पीड पैकेट एक्सेस को प्रोवाइड करता है और हाइ एंड मोबाइल फोन पर प्रति सेकंड 168 (Mbit/s) डेटा डाउनलोड और 22 Mbit/s के स्पीड से अपलोड कर सकता है|
नेटवर्क टेक्नोलॉजी को सिलेक्ट करते समय यह ध्यान रखें कि, कौनसा कैरीअर आपके एरिया मे उपलब्ध है और किसका कवरेज अच्छा है|


2) Screen Type:
मोबाइल फोन में कई डिस्प्ले के टाइप युज होते है, और इसके कई अलग अलग विकल्प उपलब्ध है|

TFT LCD :-
टीएफ़टी यानी थिन फिल्म ट्रांसिस्ट तकनीक होती है। टीएफ़टी एलसीडी सबसे आम तकनीक है जो मोबाइल फोन में उपयोग की जाती है। इस प्रकार की स्क्रीन पहले आने वाली LCD स्क्रीन से अमूमन बेहतर क्वालिटी देती हैं। लेकिन इनमें सबसे बड़ी परेशानी सूरज की रोशनी में होती है जहां इसे देखना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग एंगल से देखने में भी यह स्क्रीन खासा परेशान करती है। इस प्रकार की स्क्रीन बैटरी बहुत खर्च करती हैं लेकिन क्योंकि ये बहुत सस्ती होती हैं इसलिए ज़्यादातर मोबाइल कंपनियां इसे ही उपयोग करती हैं।

IPS-LCD:-
आईपीएस का मतलब होता है इन प्लेस स्विचिंग। ये स्क्रीन तकनीक TFT LCD से अगली पीढ़ी की है और आप इसमें ज़्यादा वाइड एंगल से स्क्रीन को आसानी से देख भी सकते हैं। यह स्क्रीन टाइप कम बैटरी खर्च करता है लिहाज़ा TFT LCD से महंगा भी है। यह तकनीक हाई रेज़ोल्यूशन फोन में उपयोग की जाती है। जो 640*960 पिक्सल सपोर्टिव हों। एप्पल आईफोन 4एस में भी इसी तकनीक का एक संस्करण इस्तेमाल किया गया है। बेहतरीन स्क्रीन क्वालिटी के चलते इसे रेटीना डिसप्ले कहा गया।

3) Touchscreen:

रिसिस्टविट टच स्क्रीन:-
रिसिस्टिव और कैपेसिटिव ये टचस्क्रीन डिसप्ले के दो प्रकार होते हैं। रिसिस्टिव टचस्क्रीन में कंडक्टिव मटेरियल की 2 पर्तों के बीच थोड़ा सा अंतर रखा जाता है। इससे रिसिस्टेंस पैदा होता है। जब इस स्क्रीन को छुआ जाता है तब ये दो पर्तें स्पर्श की जगह पर मिलती हैं और एक सर्किट प्वाइंट टच बनता है। इस प्रोसेसर की सूचना मोबाइल चिप/प्रोसेसर को मिलती है जो इस पर प्रतिक्रिया करता है।
यह तकनीक लो एंड स्मार्टफोन में उपयोग की जाती है

कैपेसिटिव टचस्क्रीनLCD:-
कैपेसिटिव टचस्क्रीन में एक ग्लास की पर्त पर ट्रांसपेरेंट कन्डक्टर की एक पर्त कोट की जाती है। जब भी कैपेसिटिव टचस्क्रीन तकनीक इंसानी हाथ द्वारा स्पर्श की जाती है तब एक अवरोध पैदा होता है। जिसे फोन का प्रोसेसर पहचान कर प्रतिक्रिया करता है। कैपेसिटिव टचस्क्रीन, रिसिस्टिव टचस्क्रीन की तुलना में इंसानी स्पर्श पर ज़्यादा जल्दी प्रतिक्रिया देती है। इसलिए इन्हें बेहतर स्क्रीन भी कहा जाता है। यह तकनीक मिडरेंज और हाईरेंज स्मार्टफोन में उपयोग की जाती है

OLED :-
OLED यानी ऑर्गेनिक लाइट इमिटेटिंग डायोड, यह एक नई स्क्रीन तकनीक है। इस तकनीक में एनोड और कैथोड की दो कंडक्टिंग शीट के बीच कार्बन का एक ऑर्गनिक मटेरियल रखा जाता है। यह ऑर्गनिक पदार्थ लाइट पैदा करता है। इस तरह की स्क्रीन LCD और LED की अपेक्षा कम उर्जा खर्च करती हैं। इसकी ब्राइटनेस और कलर काफ़ी अच्छे तथा वज़न काफ़ी कम होता है। इस तकनीक की स्क्रीन काफी लचीली हो सकती हैं |

AMOLED :-
एक्टिव मेट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट इमिटेटिंग डायोड यानी AMOLED। यह OLED डिसप्ले का ही एक प्रकार है और आजकल महंगे स्मार्टफोन में काफ़ी इस्तेमाल किया जा रहा है। बेहतरीन रंग, कम वज़नी, बेहतर बैटरी लाइफ़, हाई ब्राइटनेस और शार्पनेस जैसी OLED डिसप्ले की तमाम खूबियां इस तकनीक में भी होती हैं।
AMOLED तकनीक के डिसप्ले आजकल हाईएंड मोबाइल और टैबलेट में काफ़ी देखे जा रहे हैं नोकिया और HTC ने अपने बेहतरीन डिवाइसों में इसका काफी उपयोग किया है। कुछ ज़्यादा कीमत पर इस तकनीक वाले डिवाइस खरीदना एक बेहतर ऑप्शन है ।

सुपरAMOLEDडिसप्ले :-
सुपर AMOLED डिसप्ले AMOLED से भी ऊंची तकनीक के साथ है। इस तकनीक को सैमसंग ने बनाया है। सुपर AMOLED स्क्रीन पर टचसेंसर्स लगे हुए होते हैं। यह बाज़ार में मौजूद सबसे पतली टच डिसप्ले तकनीक है। यह तकनीक AMOLED डिसप्ले से ज़्यादा रिस्पॉंसिंव है। सैमसंग का गैलेक्सी एस स्मार्टफोन इसी तकनीक के साथ है

4) Gorilla Glass:
गोरिल्ला ग्लास Corning द्वारा विकसित और निर्मित एक विशेष मजबूत गिलास है| गोरिल्ला ग्लास में एक विशेष अल्कली अलुमिनोसिलिटेड ग्लास शील्ड होता है जो डैमेज रेजिस्टेंस है| यह मोबाइल हैंडसेट्स के डिस्प्ले को स्क्रैचेस, ड्रॉप्स और एक्सीडेंट्स से प्रोटेक्ट करता है|

5) Resolution:
डिजिटल टीवी, कंप्यूटर मॉनिटर या मोबाइल हैंडसेट्स का डिस्प्ले रेजोल्यूशन, हर डाइमेंशन में शामिल विशिष्ट पिक्सल की संख्या होती है|
मोबाइल स्क्रीन पर बनी हर इमेज कइ छोटे डॉट्स से बनती है जिन्हे पिक्सेल कहा जाता है| अगर पिक्सेल की संख्या अधिक होगी तो इमेज भी अधिक स्पष्ट होगी| आमतौर पर स्क्रीन रेजोल्यूशन width × height में मापा जाता है| उदाहरण के लिए, "1024 × 768" का मतलब है चौड़ाई 1024 पिक्सल और ऊंचाई 768 पिक्सल।
सबसे आम डिस्प्ले रेजोल्यूशन -
-VGA (Video Graphics Array) - 640×480
-SVGA (Super Video Graphics Array) - 800x600
-QVGA (Quarter Video Graphics Array) - 320×240
-WQVGA (Wide QVGA) - xxx×240
-HVGA (Half VGA) - 480×320
-WVGA (Wide VGA) - xxx×480
-FWVGA (Full Wide Video Graphics Array) - 854x480
-Quarter HD or qHD - 960×540
-XGA (Extended Graphics Array) - 1024x768
-SXGA (Super Extended Graphics Array)) – 1080 x 1024
-WXGA (Wide Extended Graphics Array) - 1366x768
-HD (High Definition) – 1360 x 768
-HD+ (High Definition) – 1600 x 900
-Full HD (High Definition) - 1920x1080 pixels
-Hd ready (720x1280)
-Quad HD (1440x2560)
-Ultra HD 4K (3840x2160 pixels)

6) Dual SIM:
Dual Standby:
• Dual SIM Dual Standby (DSDS) मतलब यह फोन डुअल सिम को सपोर्ट करता है, लेकिन स्टैंडबाई मोड में| इसका मतलब है, जब कोइ भी सिम उपयोग में नहीं है, तब दोनो सिम एक्टिव होते है, लेकिन जब एक सिम कॉल में होता है तब दुसरा सिम इनएक्टिव हो जाता है और इस दुसरे सिम पर कोइ कॉल आएगा तो उसे “not reachable” का मैसेज सुनाइ देगा|
• यह फोन बैटरी की पॉवर कम इस्तेमाल करते है, क्योकी वे दोनो सिम के लिए एक ही ट्रांसीवर का उपयोग करते है|
Dual Active:
• डुअल सिम एक्टिव फोन में दो ट्रांसीवर होते है और उनमें एक साथ दोनो सिम पर कॉल को रिसीव किया जा सकता है| लेकिन वे बैटरी की जादा पॉवर लेते है|

7) Multitouch:
मल्टी-टच दो या अधिक फिंगर से एक ही समय में स्क्रीन पर इनपूट दिया जा सकता है| इससे आप दो फिंगर से ज़ूम इन या ज़ूम आउट कर सकते है|

8) Chipset:
चिपसेट इंट्रीग्रेटेड सर्किट में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का सेट होता है, जो प्रोसेसर, मेमोरी और अन्य बाह्य उपकरणों में डाटा फ्लो को मैनेज करता है| सभी मोबाइल हैंडसेट्स चिपसेट पर रन होते है, जिन्हे एक या कुछ डेडिकेटेड फंक्शन्स परफॉरम करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है|
आज के स्मार्टफोन मीडियाटेक और क्वालकॉम इन दो चिपसेट का उपयोग सबसे जादा होता है| मीडियाटेक सेमीकंडक्टर बनाने वाली एक ताइवानी कंपनी है| मीडियाटेक ने डुअल-कोर, क्वाड-कोर, ऑक्टा-कोर और 64 बिट ऑक्टा-कोर प्रोसेसर के लिए विभिन्न चिपसेट लॉन्च किए है| जबकि क्वालकॉम ने system-on-chip (SoC) सेमीकंडक्टर प्रोडक्ट डिज़ाइन किया, जो स्नैपड्रैगन के नाम से जाना जाता है| एक स्नैपड्रैगन SoC में मल्टी-कोर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU), ग्राफ़िक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU), वायरलेस मॉडम और अन्य सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर शामिल होते है, जो स्मार्टफोन के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS), कैमेरा, जेस्चर रिकग्निशन और वीडियो को सपोर्ट करते है|

9) CPU:
सीपीयू याने सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, जो स्मार्टफोन का दिमाग होता है। आज के स्मार्टफ़ोन और अधिक उन्नत सीपीयू के साथ लैस होते है और वे एक ही समय में कई अलग अलग टास्क कर सकते हैं| मोबाइल प्रोसेसर सिंगल कोर से शुरू होकर अब डुअल-कोर, क्वाड-कोर, ऑक्टा-कोर और 64 बिट ऑक्टा-कोर प्रोसेसर तक आ गया है| अधिक कोर की संख्या याने मोबाइल मे आसान मल्टीटास्किंग| इसके अलावा यह मोबाइल में सुचारू रूप सें वीडियो और गेम को रन करते है| यही कारण है, कि आप अगर स्पीड देख रहे हैं, तो जादा मल्टी-कोर प्रोसेसर का चुनाव करें|
64 बिट प्रोसेसर का मतलब है कि प्रोसेसर फोन में ज्यादा रैम, ज्यादा मेमोरी और बेहतर कैमरा फीचर्स सपोर्ट कर सकता है और इससे बेहतर बैटरी बैकअप भी मिलता है।

10) GPU:
GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) मदरबोर्ड को अगल से जुड़ा हुआ होता है। इसे खासकर वीडियो और ग्राफिक्स का परफॉरमेंस बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, खासकर 3 डी गेमिंग के लिए| अगर आप हेवी गेम्स या हाइ ग्राफिक्स की आवश्यकता वाले ऐप्स युज करना चाहते है, तो आप अपने स्मार्टफोन के लिए जादा पावरफुल GPU चुनाव करना चाहिए|

11) GPS:
जीपीएस, या ग्लोबल पोजीशनिंग सैटेलाइट, यह एक सैटेलाइट बेस्ड नेविगेशन सिस्टम है जिसे पृथ्वी के किसी भी स्थान का सटीक लोकेशन और समय की जानकारी देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| यह सिस्टम युएस गवर्नमेंट द्वारा मेंटेन किया जाता है और यह किसी को भी फ्री में जीपीएस रिसीवर से एक्सेस होता है| जीपीएस डिवाइस और एप्लिकेशन से आप कहीं भी नेविगेट कर सकते है| इसके साथ आप अपने खोए स्मार्टफ़ोन को ट्रैक कर सकते है और अपने परिवार के मेंबर के लोकेशन को चेक कर सकते है|

12) A-GPS:
ए-जीपीएस याने असिस्टेड ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम| यह भी जीपीएस के प्रिंसिपल पर ही काम करता है, लेकिन यह जीपीएस के स्टार्टअप परफॉर्मेंस में सुधार करने में सक्षम है| यह मोबाइल नेटवर्क जैसे नेटवर्क रिसोर्सेज की मदद से सैटेलाइट के जानकारी प्राप्त करता है| इससे तेजी से लोकेशन की जानकारी, कम पावर की आवश्यकता और बैटरी की लाइफ सेव होती है|

13) Camera:
सेल फोन में कैमरे हर दिन बेहतर और बेहतर होते जा रहे है। अब इसमें कई विशेषताएं शामिल हैं और इन्हे आपके स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन में होना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है

Megapixels:
मेगापिक्सेल (MP) को एक लाख पिक्सल के रूप में परिभाषित किया गया है। सैद्धांतिक रूप से, स्मार्टफोन हैंडसेट्स के कैमरा में अधिक मेगापिक्सल की संख्या याने वह अधिक बेहतर गुणवत्ता के इमेज कैप्चर करेगा| लेकिन यह हमेशा सच नहीं हाता, क्योकी यह कैमेरे की लैंस पर आधारीत होता है।

Geo-Tagging:
जियो-टैगिंग का फीचर आपको फोटोग्राफ के साथ जिओग्राफिकल मेटाडेटा शामिल कर सकते है| इसमे अक्षांश और देशांतर निर्देशांक, बेअरिंग, डिस्टेंस और जगह का नाम जैसी जानकारी शामिल है |

Face Detection:
फेस डिटेक्शन यह एक टेक्नोलॉजी है, जिसमें कैमेरा ह्यूमन फेस को ऑटोमेटिकली लोकेट करता है|

14) Sensors:
मॉडर्न मोबाइल हैंडसेट्स में कई सेंसर होते है, जो हमारे डेली काम को ऑटोमेटिक या आसान बना देते है -

Accelerometer:
मोबाइल का ऐक्सेलरोमीटर अपने ही ऐक्सेलरेशन को डिटेक्ट करता है और हैंडसेट्स के ओरिएंटेशन का पता लगाता है| इसके बाद मोबाइल ऐप्लीकेशन इसके अकॉर्डिंग रीएक्ट करता है| जैसे स्क्रीन रोटेट होने पर पोर्ट्रेट से लैंडस्केप हो जाता है|

Gyroscope:
जाइरोस्कोप एक डिवाइस है, जो ओरिएंटेशन को समझने के लिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करता है| इसे हाइ एंड स्मार्टफोन में 3 डी गेमिंग और V.R. (Virtual Reality) (आभासी वास्तविकता) के लिए इस्तेमाल किया जाता है|

Proximity Sensor:
प्रोक्सिमिटी सेंसर आमतौर पर जब आप हैंडसेट्स को कॉल के दौरान अपने सिर के पास लाते है, तब स्क्रीन को बंद कर देता है, जिससे आप गलती से कोइ बटन ना प्रेस कर दें|

15) mAh:
mAh (milli-Ampere-hours) इलेक्ट्रीक पावर को समय के साथ मापने को एक युनिट है| यह मोबाइल की बैटरी में एक बार स्टोर एनर्जी है| जादा mAh आपके मोबाइल को लंबे समय तक पावर देगा|

Li-Po:
लिथियम पॉलीमर बैटरी, या लिथियम आयन पॉलीमर बैटरी यह लिथियम-आयन टेक्नोलॉजी के लिए रिचार्जेबल बैटरी है।

LI-Ion:
लिथियम आयन (ली-आयन) बैटरी उसके हाइ एनर्जी डेंसिटी के कारण हल्के होते है और वे हाइ वोल्टेज में काम करने में सक्षम होते है|

16) CyanogenMod:
सायानोजेनमोड स्मार्टफोन के लिए फ्री, ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर आधारित है और यह आपके डिवाइस की क्षमताओं का विस्तार करता है|


17) 1g 2g 3g 4g and 5g

1जी तकनीक
1जी तकनीक दुनिया में वायरलेस टेलीफोनी की पहली तकनीक मानी जाती है। यह तकनीक पहली बार 1980 में सामने आई और 1992-93 तक इसका इस्तेमाल किया जाता रहा। इसमें डेटा की आवाजाही की रफ्तार 2.4 केवीपीएस थी। इस तकनीक की बड़ी खामी इसमें रोमिंग का ना होना था। पहली बार अमेरिका में 1जी मोबाइल सिस्टम ने इस तकनीक का प्रयोग किया था। इसमें मोबाइल फोन पर आवाज की क्वालिटी काफी खराब थी, साथ ही यह बैटरी की भी बहुत अधिक खपत करता था। इस तकनीक पर चलने वाले मोबाइल हैंडसेट बेहद भारी हुआ करते थे। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक था।

2जी तकनीक
2जी तकनीक की शुरुआत 1991 में फिनलैंड में हुई। यह ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन पर आधारित तकनीक है जिसे संक्षिप्त रूप में जीएसएम टेक्नॉलजी कहा जाता है। इस तकनीक में पहली बार डिजीटल सिग्नल का प्रयोग किया गया। इस तकनीक से माध्यम से फोन कॉल के अलावा पिक्चर मैसेज, टेक्स मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज भेजा जाने लगा। इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे इस्तेमाल करने से काफी कम ऊर्जा की खपत होती है और फोन की बैटरी काफी ज्यादा चलती है। इस तकनीक पर डेटा के आनेजाने की रफ्तार 50,000 बिट्स प्रति सेकेंड तक हो सकती है। यह तकनीक मुख्य रूप से आवाज के सिग्नल को प्रसारित करता है। 2जी तकनीक से डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 236 केवीपीएस (किलो बाइट प्रति सेकंड) होती है। इसके एडवांस वर्शन को 2.5जी और 2.7जी नाम दिया गया था, जिसमें डेटा के आदान-प्रदान की रफ्तार और भी बढ़ गई थी।


3जी तकनीक
3जी तकनीक की शुरुआत 2001 में जापान में हुई। इस तकनीक का मानकीकरण इंटरनेशनल टेलेकम्यूनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने किया था। इस तकनीक के माध्यम से टेक्स्ट, तस्वीर और वीडियो के अलावा मोबाइल टेलीविजन और वीडियो कांफ्रेसिंग या वीडियो कॉल किया जा सकता है। इस तकनीक ने दुनिया में क्रांति ला दी और मोबाइल फोन की अगली पीढ़ी यानी स्मार्टफोन को बढ़ावा दिया। 3जी तकनीक में डेटा के आने-जाने की रफ्तार 40 लाख बिट्स प्रति सेकेंड तक होती है। 3जी तकनीक का जोर मुख्य रूप से डेटा ट्रांसफर पर है। 2जी तकनीक के मुकाबले 3जी की एक अहम खासियत यह है कि यह आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए अधिक सुरक्षित (इनक्रिप्टेड) है। 3जी तकनीक की अधिकतम डाउनलोड स्पीड 21 एमवीपीएस और अपलोड स्पीड 5.7 एमवीपीएस होती है। इस तकनीक ने मोबाइल फोन के लिए एप बनाने का रास्ता खोल दिया।

4जी तकनीक
4जी तकनीक की शुरुआत साल 2000 के अंत में हुई। इसे मोबाइल तकनीक की चौथी पीढी कहा जाता है। इस तकनीक के माध्यम से 100 एमवीपीएस से लेकर 1 जीबीपीएस तक की स्पीड से डेटा का डाउनलोड-अपलोड किया जा सकता है। यह ग्लोबल रोमिंग को सपोर्ट करता है। यह तकनीक 3जी के मुकाबले कहीं सस्ती तकनीक है। साथ ही इसमें सिक्युरिटी के फीचर्स भी ज्यादा है। हालांकि इस तकनीक की कुछ खामियां भी है। जैसे कि यह 3जी के मुकाबले कहीं अधिक बैटरी की खपत करता है। वहीं, 3जी तकनीक में 2जी के मुकाबले काफी अधिक बैटरी की खपत होती है। 4जी तकनीक से लैस मोबाइल फोन में जटिल हार्डवेयर प्रणाली की जरूरत होती है, इसलिए 3जी फोन के मुकाबले 4जी के फोन महंगे होते हैं। 4जी तकनीक की आधारभूत संरचनाओं को तैयार करने में महंगे उपकरण लगाने होते हैं। हालांकि जैसे-जैसे यह तकनीक आम होती जाएगी, फोन और नेटवर्क इक्विपमेंट्स दोनों की कीमतों में कमी आएगी। फिलहाल 4जी तकनीक दुनिया के काफी कम देशों में उपलब्ध है जिनमें मुख्यतः विकसित देश शामिल हैं। 3जी तकनीक की सबसे बड़ी खामी जहां इसमें डेटा का न्यूनतम स्पीड लगभग 2.5जी के बराबर होना है। वहीं 4जी तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें खराब से खराब नेटवर्क में भी कम से कम 54एमवीपीएस की रफ्तार मिल सकती है।

5जी तकनीक5जी तकनीक की शुरुआत साल 2010 में हुई। इसे मोबाइल नेटवर्क का पांचवी पीढ़ी कहा जाता है। यह 'वायरलेस बर्ल्ड वाइड वेब' (मोबाइल इंटरनेट) को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस तकनीक में बड़े पैमाने पर डेटा का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसमें एचडी क्वालिटी का वीडियो के साथ मल्टीमीडिया न्यूजपेपर प्रसारित की जा सकती है। साथ ही इस तकनीक से वीडियो कॉलिंग के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। इस तकनीक में अल्ट्रा हाइ डेफिनिशन क्वालिटी की आवाज का प्रसारण किया जा सकता है। इस तकनीक में 1 जीवीपीएस से अधिक स्पीड से डेटा की आवाजाही हो सकती है, हालांकि अभी तक इसकी अधिकतम स्पीड डिफाइन नहीं की गई है, क्योंकि अभी यह कांसेप्ट के दौर में है और इस पर काम चल रहा है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी रियल टाइम में बड़े से बड़े डेटा का आदान-प्रदान होगा। साथ ही यह तकनीक संवर्धित वास्तविकता (अगर्मेंटेड रियलिटी) के क्षेत्र में नया रास्ता खोलेगी, यानि इसके माध्यम से फोन कॉल पर आप बिल्कुल आमने-सामने बात कर पाने में सक्षम होंगे। विभिन्न साइंस फिक्शन और फंतासी कथाओं में जिस प्रकार व्यक्ति आपके आगे आभासी रूप में उपस्थित हो जाता है और आप उससे आमने-सामने बात करने में सक्षम होते हैं। इस तकनीक से ऐसा करना संभव हो सकेगा। अनुमान के मुताबिक 5जी तकनीक साल 2020 तक धड़ल्ले से प्रयोग में आने लगेगी। फिलहाल ब्रिटेन की राजधानी लंदन में साल 2020 तक 5जी तकनीक लगाने की तैयारी चल रही है।










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